शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

सोमवार, 28 मई 2012

राष्ट्र भक्त वीर विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन!


(28 मई 1883 -26 फरवरी 1966)
तुजसांठी मरण ते जनन,तुजवीण जनन ते मरण!
हे मातृभूमि!तेरे लिए मरना ही जीना है और तुझे भूल कर जीना ही मरना है!


जिस प्रकार एक भारतीय नाटक के सभी पात्र-मृत और जीवित भी,एक समय अंत में मिलते हैं,उसी तरह इस संघर्ष नाटक के हम सभी असंख्य पात्र भी कभी इतिहास के रंगमंच पर अवश्य मिलेंगे.तब तक के लिए मित्रो!विदा!विदा!!मेरी लाश कहीं भी गिरे,चाहे अंडमान की अंधेरी कालकोठरी में अथवा गंगा की पवित्र धारा में,वह हमारे संघर्ष को प्रगति ही देगी.युद्ध में लड़ना और गिर पड़ना भी एक प्रकार की विजय है. अत:प्यारे मित्रो! विदा!
-स्वातंत्र्यवीर सावरकर 

सोमवार, 21 मई 2012

नव्या पत्रिका का हुआ लोकार्पण



    दिनांक 19 मई,2012 को दिल्ली में स्थित हिन्दी भवन (निकट आई .टी.ओ.) में गुजरात की हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका नव्या का लोकार्पण किया गया. 


इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महेश चंद शर्मा ने की. मुख्य अतिथि थे संगीत नाटक अकादमी की गृहपत्रिका संगना के संपादक श्री प्रयाग शुक्ल. अध्यक्ष व मुख्य अथिति संग श्री पंकज त्रिवेदी (प्रबंध संपादक-नव्या), श्रीमती शीला डोंगरे (संपादिका-नव्या), श्री  ए.कीर्तिवर्धन, श्री अवधेश कुमार सिंह व दिल्ली गान के रचयिता श्री सुमित प्रताप सिंह मंच को शुशोभित कर रहे थे. 


मंच संचालन का कार्यभार संभाला नव्या की सहसंपादिका श्री स्वाति नलावड़े ने. कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. सभी मंचासीन अतिथियों को पुष्प गुच्छ व भेंट देकर सम्मानित किया गया. इसके पश्चात सुश्री ऐश्वर्या लाहिरी ने नृत्य प्रस्तुत किया. इस अवसर पर सभी ने अपने-अपने वक्तव्य दिए. श्री पंकज त्रिवेदी एवं श्रीमति शीला डोंगरे ने नव्या के उद्देश्य व भविष्य पर अपने विचार रखे. श्री अवधेश कुमार सिंह ने रबीन्द्रनाथ टैगोर पर विशेष आलेख पढ़ा व श्री सुमित प्रताप सिंह ने नव्या से जुड़े अपने अनुभव बताये व दिल्ली गान को गाकर सुनाया. श्री ए. कीर्तिवर्धन ने नव्या के संबंध में अपने विचार व सुझाव रखे. श्री दर्पण मजूमदार ने रबीन्द्र पाठ किया. कार्यक्रम के मुख्य अथिति श्री प्रयाग शुक्ल ने रबीन्द्र नाथ टैगोर के विषय में गहन चर्चा की व उनसे सम्बंधित कविताओं का पाठ किया. अध्यक्ष श्री महेश चंद शर्मा ने ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये व नव्या को अपने भरपूर सहयोग देने का वचन भी दिया. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री फज़ल इमाम मल्लिक ने प्रस्तुत किया. 




इस प्रकार श्रीमति स्वाति नलावडे के सफल संचालन में कार्यक्रम समाप्त हुआ.




इस विशेष अवसर पर सभागार में डॉ. हरीश अरोरा, श्री सुभाष नीरव, श्रीमति पूनम माटिया, श्रीमति जैनी शबनम, श्रीमति सरिता भाटिया, श्री अनिल पराशर, श्री बलराम अग्रवाल, श्री संतोष त्रिवेदी, श्री अविनाश वाचस्पति, श्री लाल बिहारी लाल, श्री शाहनवाज सिद्दीकी, श्री शैलेश भारतवासी, सुश्री गुंज झाझरिया व श्री दीपक कुमार इत्यादि प्रसिद्द ब्लॉगर, लेखक व साहित्यकार उपस्थित थे.

प्रस्तुति- संगीता सिंह तोमर, 
             प्रतिनिधि-नव्या पत्रिका (दिल्ली) 


शनिवार, 5 मई 2012

संस्कृति (लघु कथा)



     पने पिता जी के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर वेटिंग रूम में होम टाऊन जाने के लिए ट्रेन की प्रतीक्षा कर रही थी. पिता जी ट्रेन के आने के निश्चित समय का पता लगाने के लिए इंक्वारी रूम की ओर चले गए. अकेलेपन को दूर करने के लिए सामने बैठी महिला से बतियाने का मन किया, जो देखने में काफी सभ्य सी लग रही थी व दो छोटी लड़कियों, जिनकी उम्र लगभग 10-11 वर्ष के लगभग थी, के साथ बैठी हुई थी.
उनसे बातचीत का सिलसिला चला, तो उन्होंने बताया, "मेरे पति अमेरिका में डॉक्टर हैं. मैं अमेरिका से भारत रहने आई हूँ और अपनी दोनों बेटियों के साथ अपने शहर लखनऊ जा रही हूँ, अब वहीं इन दोनों की आगे की पढ़ाई होगी." 
मैंने उनसे आश्चर्य से पूछा, "भारतीय तो शिक्षा ग्रहण के लिए विदेश जा रहे है और आप अपनी बच्चियों को लेकर अमेरिका से भारत वापस आ गईं?" 
वो बोलीं, "पाश्चात्य संस्कृति बहुत ही उन्मुक्तापूर्ण है. मैं चाहती हूँ कि मेरी बेटियाँ अपनी महान भारतीय संस्कृति में पलें-बढ़ें."
तभी अचानक एक अर्ध-नग्न कन्या पारदर्शी वस्त्र धारण किए उनकी सीट के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली "एक्सक्यूज मी मेम! वुड यू प्लीज़ मूव अ विट? आइ हैव टू सिट हियर."
उस कन्या को देखकर उनके मुख से अनायास ही ये शब्द निकल पड़े, "हे भगवान अब मैं अपनी बच्चियों को लेकर भारत से भला और कहाँ जाऊँ?"
***चित्र गूगल बाबा से साभार***

गुरुवार, 3 मई 2012

लाल कला मंच द्वारा सम्मान एवं लोकार्पण समारोह सम्पन्न


पुस्तक "कुछ तो बाकी रह गया" का विमोचन 

   दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में कुँवर विक्रमादित्य सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह "कुछ तो बाकी रह गया" का लोकार्पण पद्मभूषण गोपाल दास नीरजडॉ. नामवर सिंह एवं श्री किशोर उपाधायाय द्वारा संयुक्त रुप से किया गया। लाल कला मंच द्वारा इसकी अध्यक्षा श्रीमती सोनू गुप्ता एवं अतिथियों द्वारा श्री कुँवर विक्रमादित्य सिहं को इनकी कृति कुछ तो बाकी रह गया के लिए शब्द साधक सम्मान एवं डा. ए.कीर्तिवर्धन को हिन्दी सेवा के अमूल्य धरोहर कृति जतन से ओढ़ी चदरिया के संपादन के लिए इन्हें भी शब्द-साधक सम्मान से अतिथियों एवं लाल कला मंच के सचिव श्री लाल बिहारी लाल द्वारा सम्मानित किया गया। इन्हें सम्मान स्वरुप अंग वस्त्र,1100 रुपये नकद,सम्मान पत्र व पदक प्रदान किया गया। 
डॉ. ए. कीर्तिवर्धन सम्मान ग्रहण करते हुए 
   समारोह का आयोजन हिन्दी भवन,आई.टी.ओ.,नई दिल्ली में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता
आकाशवाणी दिल्ली के केन्द्र निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. नामवर सिंह नवोदित कवियों के इसके गुण धर्म पर ध्यान देने एवं छन्दों पर भी पकड होने की बात कही तथा पद्मभूषण गोपालदास नीरज ने आशीर्वचन के साथ-साथ अपनी दो चार कवितायें भी सुनाई। सानिध्य दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चन्द्र शर्मा तथा हिन्दी त्रैमासिक- सरस्वती सुमन(देहरादून)के प्रधान संपादक डॉ. आनन्द सुमन सिंह का था तथा काव्य संकलन कुछ तो बाकी रह गया” पर परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रुप में आकाशवाणी दिल्ली के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हरि सिंह पाल एवं राष्ट्र
किंकर के संपादक डा. विनोद बब्बर ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. ए. कीर्तिवर्धन ने किया।
    इस अवसर पर राजधानी दिल्ली से प्रकाशित द्विमासिक पत्रिका हम सब साथ-साथ” द्वारा देश के दर्जनों साहित्यकारो को कार्यकारी संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव एवं अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।

प्रस्तुति- संगीता सिंह तोमर
ई-1/4, डिफेन्स कालोनी पुलिस फ्लैट्स,
नई दिल्ली- 110049

मंगलवार, 1 मई 2012

साहित्यकार "सहयोगी" जी की पुस्तकों का लोकार्पण



     साहित्यकार शिवानन्द सिंह "सहयोगी" की पुस्तकों "घर-मुंडेर की सोनचिरैया" एवं “दुमदार दोहे” का लोकार्पण चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एवं इंडस्ट्री,मेरठ के सभागार में सम्पन्न हुआ.
समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.वेदप्रकाश अमिताभवरिष्ठ साहित्यकार एवं संपादक "अभिनव प्रसंगवश" थे. समारोह की अध्यक्षता डॉ.सुरेश उजाला,संपादक उत्तर प्रदेश ने की.
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. कमल सिंह (सुप्रसिद्ध भाषाविद,अलीगढ)श्री किशन स्वरूप (नामवर गजलकार मेरठ) एवं श्री शमीम अख्तर (वरिष्ठ महाप्रबंधक,दूरसंचार,मेरठ) रहे.
पुस्तकों के लोकार्पण के उपरान्त अपने संबोधन  में मुख्य अतिथि डॉ.वेदप्रकाश अमिताभ ने कहा “श्री शिवानंद सहयोगी के गीत गहरी संवेदनशीलता से समृद्ध हैं. उनका एक सुनिश्चित विजन भी है. गीत को कोमल विधा कहा जाता है और उसके खुदरे यथार्थ की अभिव्यक्ति के योग्य नहीं माना जाता, लेकिन श्री सहयोगी के गीत अपने परिवेश को प्रमाणिकता के साथ अभिव्यक्त करने में सक्षम है.”
समारोह अध्यक्ष डॉ. सुरेश उजाला ने अपने उद्बोधन में कहा- “आंचलिकता के माधुर्य से ओतप्रोत सहयोगी जी के गीत मानव-मन की सुंदर अभिव्यक्ति करते हैं. वर्तमान समय की विसंगतियों से त्रस्त जीवन को सहजता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं. गाँव की मिट्टी की महक भी लोकार्पित पुस्तकों में सहज ही महसूस की जा सकती है. इसके लिए लेखक बधाई के पात्र हैं.”
समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ.कमल सिंह ने कहा- “लोकार्पित पुस्तक ‘दुमदार दोहे’ में देखेंगे कि अनकही बात कहने के लिए, कभी दोहे में उठाये गये प्रश्न के उत्तर के लिए, कभी किसी अतिरिक्त व्यंजना के लिए, कभी दोहे की किसी समस्या के समाधान के लिए तो कभी समस्या की पूर्ति के लिए इन दोहों में दम लगाई गई है. निश्चित रूप से सहयोगी जी के इन दोहों में पाठकों को एक  अदभुत आनंद की प्राप्ति हो सकेगी.”
इस अवसर पर साहित्यकार शिवानन्द सिंह "सहयोगी" ने अपने संबोधन में कहा- “दोहा कभी चरण बदल कर सोरठा बन जाता है, तो कभी रोला के मेल से कुण्डलिया बन जाता है. कभी चौपाइयों के बीच में आकर अपनी बात कहने लगता है. दोहे की इन्ही अनकही बातों को कहने के लिए उन्होंने इसे पूर्णता देने की कोशिश की है.” कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्री कान्त शुक्ल ने किया. समारोह में स्थानीय साहित्यकारों के साथ निकटवर्ती जनपदों-दूरदराज के साहित्यकारों ने सहभागिता की. इनमें उल्लेखनीय हैं- डॉ.बी.के.मिश्रा, नेमपाल प्रजापति, सविता गजल, रामकुमार गौड, शिवकुमार शुक्ला, अमित धर्म सिंह, डॉ.असलम जमशेदपुरी, डॉ. विशम्भर पांडे, ओमकार गुलशन, डॉ.प्रदीप जैन, आलोक पंडित, नवेन्दु सिंह, रामशरण शर्मा, डॉ ए.के. चौबे आदि उल्लेखनीय है.

संगीता सिंह तोमर
ई-1/4, डिफेन्स कालोनी पुलिस फ्लैट्स,
नई दिल्ली- 110049
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