शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

शनिवार, 28 नवंबर 2015

कविता: एक सच

जो सीधे-सच्चे
होते हैं इंसान
उनको नहीं जरुरत

होती चिकनी-चुपड़ी
बातें करने की
न ही होना पड़ता
विवश उन्हें 
किसी के चरण चूमने को 
उनका तो परिश्रमी 
तन-मन
निश्छल व्यवहार
और स्पष्टवादिता ही
उनके आगे बढ़ने का
मार्ग प्रशस्त करते हैं।
लेखिका- संगीता सिंह तोमर
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