शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

भूख (लघु कथा)

चित्र गूगल बाबा से साभार
     लंच की घंटी बजी,   रमा ने सुरभि  से पूछा आज टिफिन में क्या लाई है? 
सुरभि ने मुँह बनाकर कहा,"क्या होगा टिफिन में,वही रोज की तरह मम्मी ने घास-फूस रखा होगा. यार ऐसा खाना खाते-खाते मेरी तो भूख ही मर गई है, पता नहीं लोग इसे खा कैसे लेते हैं? चल हम दोनों कैंटीन में जाकर कुछ खाते है."
 रमा   ने कहा," सुरभि  फिर इस खाने का क्या करेगी?"
सुरभि बोली,"अरे वही जो रोज करती हूँ, स्कूल के पीछे वाले गेट से बाहर फेंक दूंगी."
 रमा  बोली,"ठीक है तू तब तक इसे फेंककर आ, मैं तुझे कैंटीन में ही मिलती हूँ."
    सुरभि  अपना टिफिन लेकर उसी जगह पहुँच गई जहाँ वह अपना खाना अक्सर फेंका करती थी. उसने देखा कि गेट के पास एक फटेहाल लड़की एक ईंट के ऊपर बैठी हुई है, वह लड़की सुरभि  को देखकर कुछ झेंप गई. उसके हाव-भाव को देख  सुरभि  के मन में कुछ संदेह हुआ कि अवश्य ही यह कुछ छुपा रही है, हो न हो इसने कुछ चोरी की है. सुरभि  चुपचाप वहां से वापस चल दी और वही थोड़ी दूर जाकर एक दीवार के पीछे छिप गई. उस लड़की ने सुरभि के जाते ही उस  ईंट को उठाया जिस पर वह बैठी हुई थी और एक मिट्टी से सनी हुई रोटी निकाली, उसे अच्छी तरह झाड़ा और खाने लगी.सुरभि ने यह सब देखा तो उसकी आत्मा काँप उठी, यह वही  रोटी  थी जिसे उसने कल अपने टिफिन में से निकालकर फेंका था.

सुरभि  नम आँखें लिए अपना टिफिन लेकर लंच करने अपनी कक्षा की ओर चल दी, उसे बहुत तेज भूख लग आई थी.   

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

पहली कमाई (लघु कथा)


     रुण, जो कि मध्यम वर्गीय परिवार से था,दिखने में जितना साधारण उतना ही दिमागी रूप से तेज था. कॉलेज में अक्सर वह अपने रूप-रंग व कद-काठी के कारण उपहास का पात्र बनता था. वेलेन्टाइन दिवस आने वाला था और एक दिन उसके सीनियर्स  ने अरुण को घेर लिया और उसके सामने एक शर्त रखी कि वह कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की (जो अरुण से एक साल सीनियर थी) को गुलाब का फूल देगा. वह जीता तो उसे एक हजार रूपए ईनाम मिलेंगे तथा एक महीने तक वे सभी उसको सलाम भी  मारेंगे. अगर वह हारता है तो उसे सज़ा दी जाएगी. अरुण ने इस शर्त को चुनौती समझकर स्वीकार कर लिया. 
     वेलेंटाइन दिवस आया और और अरुण शर्त के अनुसार उस लड़की के पास गया और गुलाब का फूल उसे भेंट में दे डाला. अरुण ने जब उस लड़की को गुलाब का फूल भेंट किया तो उसने अरुण की भेंट को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया और बड़े ही प्यार से उसके गाल पर हाथ फिराया. उन दोनों के बीच शाम को पार्क में मिलने के लिए गुप्त समझौता भी हो गया. अरुण का साहस और किस्मत देखकर सभी सीनियर्स हैरान थे तथा उनके मन में उसके प्रति ईर्ष्या के भाव भी उपज रहे थे.
                शाम को जब अरुण और वह लड़की पार्क में मिले तो अरुण ने उस लड़की के पैर छूते हुए कहा, "दीदी आशीर्वाद दें. आपका छोटा भाई अपने जीवन की पहली कमाई आपको अर्पण करने आया है." उस लड़की ने अरुण के सिर पर हाथ रखकर आशीष दिया और उसे अपने गले से लगा लिया.

***चित्र गूगल से साभार***
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