शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

तिरंगे (लघु-कथा)



स्कूल के कुछ युवा शिक्षकों ने इस बार गणतंत्र दिवस को कुछ अलग ही ढंग से मनाने का निश्चय किया.
इस पल को यादगार बनाने के लिए रंगारंग कार्यक्रम के दौरान बच्चों को कागज के छोटे-छोटे तिरंगे दिए गए.
पूरा वातावरण तिरंगामय हो गया.
कार्यक्रम समाप्त होने पर सभी देश भक्तिगीत गाते हुए अपने घर की ओर चले गए और सैकड़ों तिरंगे जमीन पर पड़े-पड़े धूल खाते रहे.

**चित्र गूगल से साभार**

10 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

बेहद उम्दा कटाक्ष्…………। सभी को गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक बधाई

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

....भावनाओं को हम कब समझेंगे ?

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

Unknown ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

तिरंगे खाते नहीं हैं धूल
चाट कर करते हैं भूल
भूल तिरंगे की नहीं
तिरंगा बनाने वाले की
गण फिर भी रहता है कूल।

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शुक्रिया! वन्दना जी.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शुक्रिया! संतोष त्रिवेदी अंकल जी.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शुक्रिया! Patali-The-Village जी.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शुक्रिया! कुश्वंश जी.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शुक्रिया! अविनाश अंकल जी.

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