शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

सोमवार, 16 जनवरी 2012

पाप या पुण्य (लघु कथा)


चाचा राम खिलाड़ी अपनी बूढ़ी गाय को बुरी तरह खींचते हुए भागे जा रहे थे.
मैंने उन्हें रोककर पूछा, "चाचा इतनी जल्दी में कहा जा रहे हो?"
वह बोले, "अरे बेटी यह गाय बूढ़ी हो गई है जाने कब ऊपर चली जाए. अगर यह खूँटे पर ही मर गई तो पाप चढ़ेगा. सोच रहा हूँ कि बाजार में जाकर बेच दूँ."
मैं मन ही मन सोचने लगी, "अगर खूँटे पर इनकी गाय मर गई तो इन्हें पाप लगेगा और बाजार में इनकी गाय को खरीदकर जब कसाई काटेगा तो क्या इन्हें पुण्य मिलेगा?"

***चित्र गूगल से साभार***

14 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

उफ़ ………सत्य को उकेरती बेहद संवेदनशील लघुकथा।

पी के शर्मा ने कहा…

दर्दनाक और शर्मनाक.....

A1 Hearing Aid Centre ने कहा…

सोचने वाली बात है
बेचारे जीव घर के न घाट के :(

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

चाचा अपने नसीब को टाँगे ले जा रहे थे !

MOHAN KUMAR ने कहा…

nice story. keep it up kalam ghissi sister.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

मेरी रचना पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद .....ऐसी घटनाएं अक्सर भारत के कई गाँवों में देखी जा सकती है पूरे जीवन गाय माता की सेवा ली जाती है और जब उन्हें बुढ़ापें पर सेवा देने का समय आता है तो पाप-पुण्य की विचारधारा मन में लाकर उन्हें बाजार में बेंच दिया जाता है.

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

पवन अंकल क्या बोलूँ?

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

सिर्फ सोचने से क्या होगा?

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

संतोष अंकल नसीब को या फिर पाप को?

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

THANKS BROTHER.

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

पाप या पुण्‍य पाने का एक दुर्लभ मौका
इसी को मार देते हैं सब समझ कर सुनहरी मौका
मानवता को शर्मसार करने से
हैवानियत को भला कब किसने रोका
और किसी के रोकने से कौन कब रूका है
पुण्‍य तो नहीं पाप के सामने सिर
शर्म से कभी नहीं झुका है
ऐसे शैतान हैं हम
कान की बंद दुकान हैं हम।

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

धन्यवाद अविनाश अंकल! मेरी रचना को पढ़ने व इतनी सुन्दर कविता के लिए.

vasanthsahyshyamalam ने कहा…

उस अनपढ का विश्वास ऐसा है, इसीलिये वह ऐसा करता है। उसको हम कैसे दोषी ठहरा सकते है।

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

धन्यवाद vasantha जी.....

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