अरुण, जो कि मध्यम वर्गीय परिवार से था,दिखने में जितना साधारण उतना ही दिमागी रूप से तेज था. कॉलेज में अक्सर वह अपने रूप-रंग व कद-काठी के कारण उपहास का पात्र बनता था. वेलेन्टाइन दिवस आने वाला था और एक दिन उसके सीनियर्स ने अरुण को घेर लिया और उसके सामने एक शर्त रखी कि वह कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की (जो अरुण से एक साल सीनियर थी) को गुलाब का फूल देगा. वह जीता तो उसे एक हजार रूपए ईनाम मिलेंगे तथा एक महीने तक वे सभी उसको सलाम भी मारेंगे. अगर वह हारता है तो उसे सज़ा दी जाएगी. अरुण ने इस शर्त को चुनौती समझकर स्वीकार कर लिया.
वेलेंटाइन दिवस आया और और अरुण शर्त के अनुसार उस लड़की के पास गया और गुलाब का फूल उसे भेंट में दे डाला. अरुण ने जब उस लड़की को गुलाब का फूल भेंट किया तो उसने अरुण की भेंट को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया और बड़े ही प्यार से उसके गाल पर हाथ फिराया. उन दोनों के बीच शाम को पार्क में मिलने के लिए गुप्त समझौता भी हो गया. अरुण का साहस और किस्मत देखकर सभी सीनियर्स हैरान थे तथा उनके मन में उसके प्रति ईर्ष्या के भाव भी उपज रहे थे.
शाम को जब अरुण और वह लड़की पार्क में मिले तो अरुण ने उस लड़की के पैर छूते हुए कहा, "दीदी आशीर्वाद दें. आपका छोटा भाई अपने जीवन की पहली कमाई आपको अर्पण करने आया है." उस लड़की ने अरुण के सिर पर हाथ रखकर आशीष दिया और उसे अपने गले से लगा लिया.
***चित्र गूगल से साभार***
22 टिप्पणियाँ:
badhiyaa :-)
sundar saral kahani...
प्यार मजाक नहीं - प्यार सम्मान भी है
सरल, सहज कहानी.
sach me pyari si rachna...
achchi prastuti...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति... बढ़िया पोस्ट बधाई
कहानी में तो twist है...बहुत सुन्दर :-)
शुक्रिया!सोनल रस्तोगी जी.
शुक्रिया!नवीन कुमार चौरसिया जी.
शुक्रिया! रश्मि आंटी जी.
शुक्रिया! shi जी.
शुक्रिया! मुकेश कुमार सिन्हा जी.
शुक्रिया! सुषमा जी.
शुक्रिया! पल्लवी जी.
शुक्रिया! धैर्य जी.
धन्यवाद कहानी बहुत अछि है ......
शुक्रिया! पाण्डेय जी.
सार्थक लघु कथा.
शुक्रिया!राजेन्द्र कलकल जी.
bahut hi badiya tha.. :)
Par mere man me sankoch tha ki kanhi kahaani galat disha me tho nahi ja rahi...
par aant achcha tha.. :)
शुक्रिया!Domain names जी.
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