शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

मंगलवार, 1 मई 2012

साहित्यकार "सहयोगी" जी की पुस्तकों का लोकार्पण



     साहित्यकार शिवानन्द सिंह "सहयोगी" की पुस्तकों "घर-मुंडेर की सोनचिरैया" एवं “दुमदार दोहे” का लोकार्पण चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एवं इंडस्ट्री,मेरठ के सभागार में सम्पन्न हुआ.
समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.वेदप्रकाश अमिताभवरिष्ठ साहित्यकार एवं संपादक "अभिनव प्रसंगवश" थे. समारोह की अध्यक्षता डॉ.सुरेश उजाला,संपादक उत्तर प्रदेश ने की.
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. कमल सिंह (सुप्रसिद्ध भाषाविद,अलीगढ)श्री किशन स्वरूप (नामवर गजलकार मेरठ) एवं श्री शमीम अख्तर (वरिष्ठ महाप्रबंधक,दूरसंचार,मेरठ) रहे.
पुस्तकों के लोकार्पण के उपरान्त अपने संबोधन  में मुख्य अतिथि डॉ.वेदप्रकाश अमिताभ ने कहा “श्री शिवानंद सहयोगी के गीत गहरी संवेदनशीलता से समृद्ध हैं. उनका एक सुनिश्चित विजन भी है. गीत को कोमल विधा कहा जाता है और उसके खुदरे यथार्थ की अभिव्यक्ति के योग्य नहीं माना जाता, लेकिन श्री सहयोगी के गीत अपने परिवेश को प्रमाणिकता के साथ अभिव्यक्त करने में सक्षम है.”
समारोह अध्यक्ष डॉ. सुरेश उजाला ने अपने उद्बोधन में कहा- “आंचलिकता के माधुर्य से ओतप्रोत सहयोगी जी के गीत मानव-मन की सुंदर अभिव्यक्ति करते हैं. वर्तमान समय की विसंगतियों से त्रस्त जीवन को सहजता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं. गाँव की मिट्टी की महक भी लोकार्पित पुस्तकों में सहज ही महसूस की जा सकती है. इसके लिए लेखक बधाई के पात्र हैं.”
समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ.कमल सिंह ने कहा- “लोकार्पित पुस्तक ‘दुमदार दोहे’ में देखेंगे कि अनकही बात कहने के लिए, कभी दोहे में उठाये गये प्रश्न के उत्तर के लिए, कभी किसी अतिरिक्त व्यंजना के लिए, कभी दोहे की किसी समस्या के समाधान के लिए तो कभी समस्या की पूर्ति के लिए इन दोहों में दम लगाई गई है. निश्चित रूप से सहयोगी जी के इन दोहों में पाठकों को एक  अदभुत आनंद की प्राप्ति हो सकेगी.”
इस अवसर पर साहित्यकार शिवानन्द सिंह "सहयोगी" ने अपने संबोधन में कहा- “दोहा कभी चरण बदल कर सोरठा बन जाता है, तो कभी रोला के मेल से कुण्डलिया बन जाता है. कभी चौपाइयों के बीच में आकर अपनी बात कहने लगता है. दोहे की इन्ही अनकही बातों को कहने के लिए उन्होंने इसे पूर्णता देने की कोशिश की है.” कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्री कान्त शुक्ल ने किया. समारोह में स्थानीय साहित्यकारों के साथ निकटवर्ती जनपदों-दूरदराज के साहित्यकारों ने सहभागिता की. इनमें उल्लेखनीय हैं- डॉ.बी.के.मिश्रा, नेमपाल प्रजापति, सविता गजल, रामकुमार गौड, शिवकुमार शुक्ला, अमित धर्म सिंह, डॉ.असलम जमशेदपुरी, डॉ. विशम्भर पांडे, ओमकार गुलशन, डॉ.प्रदीप जैन, आलोक पंडित, नवेन्दु सिंह, रामशरण शर्मा, डॉ ए.के. चौबे आदि उल्लेखनीय है.

संगीता सिंह तोमर
ई-1/4, डिफेन्स कालोनी पुलिस फ्लैट्स,
नई दिल्ली- 110049
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