शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

गुरुवार, 22 मई 2014

स्वर्ग-नर्क (लघु कथा)

रामू को चार साल की उम्र में ही उसकी माँ उसे छोड़कर इस दुनिया से चली गई. हालाँकि वह अपने मोहल्ले का लाड़ला था, लेकिन अपने बाप की नियम से डांट और मार खाता था. बाप पूरे दिन दारू पिए घर पर पड़ा रहता था. चाहे गर्मी हो या कड़ाकेदार सर्दी हो या फिर तेज बारिश हो  रामू सुबह नियम से जल्दी उठता था और काम पर चला जाता था. वह पूरे दिन मेहनत से काम में लगा रहता था. आज भी वह भूखे पेट ही सुबह से ढाबे पर बर्तन धोने में लगा हुआ था तभी सामने से एक आदमी अपने कुत्ते को लिए आता हुआ दिखा. उसने ढाबे पर पहुँचकर ढाबे के मालिक को अपने कुत्ते के लिए फ्राई चिकन लाने का ऑर्डर दिया. मालिक ने रामू को इशारा किया. रामू ने अपने मालिक द्वारा दिये गए हुक्म का पालन किया. कुत्ता रामू द्वारा परोसे गए फ्राई चिकन को मजा लेते हुये खाने में मस्त हो गया. रामू दुखी मन से कुत्ते की ओर देखते हुए सोचने लगा, “कहते हैं कि इस दुनिया के बाद मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक को पाता है. यह कुत्ता जानवर होकर भी इतना अच्छा भोजन खाकर अपना जीवन मजे में बिता रहा है और मैं पूरा दिन भूखे पेट काम करता रहता हूँ, अपने मालिक की डांट-फटकार सहन करता हूँ और काम करने के बाद का जो पैसा मिलता है उसे मेरा बाप हजम कर लेता है और  मारता- पीटता है सो अलग. इस धरती पर इस कुत्ते का जीवन स्वर्ग से कम है क्या और मेरा जीवन नरक से कम तो नहीं.” इतना सोचते- सोचते रामू की आँखों में पानी भर आया.

5 टिप्पणियाँ:

Sumit Pratap Singh ने कहा…

अपनी-अपनी किस्मत है कलम घिस्सी बहना कोई इंसान होकर कुत्ते का जीवन जीने को विवश होता है और कोई कुत्ता होकर भी इंसान से भी बेहतर जीवन यापन करता है. यूँ ही सार्थक लिखती रहो...

Unknown ने कहा…

बहोत अच्छी रचना बहन...आँख में आंसू भर आये ।।। बहोत लोग है जो ऐसा जीवन जीने को मजबूर है ।।।

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

शिवा भैया धन्यवाद.

Yogesh R.G. Singh ने कहा…

सभी के जिंदगी का कुछ ना कुछ प्रारभ्य होता है .... उसी के अनुसार सभी प्राणी अपना जीवन निर्वाह करते हैं !!

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

योगी ठाकुर जी धन्यवाद.

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