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गुरुवार, 26 जनवरी 2012

तिरंगे (लघु-कथा)



स्कूल के कुछ युवा शिक्षकों ने इस बार गणतंत्र दिवस को कुछ अलग ही ढंग से मनाने का निश्चय किया.
इस पल को यादगार बनाने के लिए रंगारंग कार्यक्रम के दौरान बच्चों को कागज के छोटे-छोटे तिरंगे दिए गए.
पूरा वातावरण तिरंगामय हो गया.
कार्यक्रम समाप्त होने पर सभी देश भक्तिगीत गाते हुए अपने घर की ओर चले गए और सैकड़ों तिरंगे जमीन पर पड़े-पड़े धूल खाते रहे.

**चित्र गूगल से साभार**

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा कटाक्ष्…………। सभी को गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक बधाई

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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  3. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  4. तिरंगे खाते नहीं हैं धूल
    चाट कर करते हैं भूल
    भूल तिरंगे की नहीं
    तिरंगा बनाने वाले की
    गण फिर भी रहता है कूल।

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