निशा और रेनू दोनों ही खेलने में मस्त थीं. पास ही एक पेड़ के नीचे बैठी उनकी सहेली कावेरी रो रही थी. तभी सामने से एक एक ज्योतिषी बाबा आते हुए दिखाई दिए, जोकि पूरे गाँव में भविष्य बताने के लिए प्रसिद्ध थे. बाबा को देखकर निशा और रेनू अपना भविष्य जानने के लिए उनकी ओर दौड़ी, लेकिन बाबा का ध्यान सबसे पहले रोती हुई कावेरी की तरफ गया. वह उससे बोले, "बेटी मेरे पास आ तेरा भविष्य बताता हूँ". कावेरी बोली "बाबा आप मेरी सहेलियों का ही भविष्य बता दो, क्योंकि मेरे पास आपको देने के लिए पैसे नहीं हैं." बाबा हँसकर बोले, "बेटी मैं तो पहले तेरा ही भविष्य बताऊँगा. तू पैसे की चिंता मत कर. मैं तुझसे एक पैसा नहीं लूँगा." बाबा कावेरी के हाथ की रेखाओं को देखते हुए बोले, "अरे बेटी तेरे भाग्य में तो बहुत धन है. तू तो नोटों की गड्डियों में खेलेगी और हवाई जहाज में घूमा करेगी". कावेरी ने दु:खी होकर कहा, "बाबा यहाँ मेरे पिता जी के पास इतने पैसे हैं नहीं कि मैं आगे की पढ़ाई जारी रख सकूँ और आप कह रहे हैं कि मैं हवाई जहाज में घूमूँगी. अच्छा मजाक कर लेतें है आप भी. इतना कह कर वह उदास हो अपने घर की ओर चली गई.
कुछ दिनों बाद कावेरी की सहेली निशा की बड़ी बहन का रिश्ता तय हुआ. शादी के दिन काफी मेहमान इकट्ठे हुए. कलकत्ता के प्रसिद्द व्यापारी राघव जी भी शादी में पधारे, जिनका एकमात्र उद्देश्य था अपनी पुत्रवधू की खोज. शादी में कावेरी को देखकर वह काफी प्रभावित हुए और मन ही मन उसे अपनी पुत्रवधु बनाने का उन्होंने निश्चय कर डाला.
अगली सुबह कावेरी के घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी. कावेरी के पिता ने जब दरवाजा खोला तो सामने राघव जी को खड़े पाया. कावेरी के पिता उन्हें देखकर चौंक गए और उनका मन अनेक आशंकाओं से घिर गया. राघव जी ने बिना बिलंब किये अपने बेटे के लिए कावेरी का हाथ मांग लिया. कावेरी के पिता थोड़ा घबराये पर निशा के पिता के समझाने पर वह विवाह के लिए तैयार हो गए और विवाह का पूरा खर्चा राघव जी ने ही उठाया.
अब कावेरी के पास धन की कोई कमी नहीं है और अक्सर वह अपने पति के साथ व्यापार के सिलसिले में हवाई जहाज से यात्रा करती रहती है. जब कभी भी वह फुरसत में बैठती है तो उसे बाबा द्वारा की हुई भविष्यवाणी याद आती है. तब वह सोचती है कि वास्तव में भाग्य बड़ा ही बलवान होता है. यह किसी को भी बना सकता है और किसी को भी.....समझ गये न आप?
बड़े अच्छे ज्योतिषी थे ... वरना आज कल तो ऐसे ही लोग ठगते रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंभाग्य भी पुरुषार्थ और साहस के साथ आता है !
जवाब देंहटाएंभविष्यवाणियों पर विश्वास करने वालों की जय :)
जवाब देंहटाएंलघुकथा बहुत अच्छी लगी |मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छी कहानी है...
जवाब देंहटाएंपर "निशा और रेनू" का हाथ देखकर बाबा ने क्या कहा, और उनके साथ क्या हुआ...इसके लिए कहानी की "अगली कड़ी" का इंतज़ार रहेगा...
भाग्य में लिखा कोई सही सही बता दे- कम ही होता है , हाँ बताये न बताये होनी तो तय है
जवाब देंहटाएंभविष्यवाणियों पर विश्वास करने वालों के लिए बस इतना ही काफी है कि पुरुषार्थ करो तब भाग्य पर इतराएँ बढिया पोस्ट है|
जवाब देंहटाएंnice short story.
जवाब देंहटाएंkalam ghissi sister keep it up.
आप सभी का मेरी पोस्ट पढने के लिए आभार.आप सभी को मकर सक्रांत की हार्दिक शुभकामनायें .......आपकी कलम घिस्सी.
जवाब देंहटाएंज्योतिष ने उस बच्ची की उदासी को दूर करने के लिये ऐसा कहा होगा। भाग्यवश वह सच निकला - ऐसा मैं मानती हूं। जो भी हुआ अच्छा ही हुआ। विश्वास ही तो जीवन का आधार है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद vasantha जी.....
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