कालेज के ग्राउंड में सभी दोस्त ग्रुप बनाकर आपस में बातचीत करने में मस्त थे.
दीपा, जो अपने आपको कुछ ज्यादा ही स्मार्ट समझती थी, ने यूँ ही अतुल से पूछ डाला, “कालेज की पढ़ाई के बाद भविष्य में तू क्या करेगा?”
अतुल बोला, "मैं अपने देश का राष्ट्रपति बनूँगा."
दीपा व्यंग्यात्मक हँसी हँसते हुए उससे बोली, “तुझे इंग्लिश बोलनी तो आती नहीं और देख रहा है राष्ट्रपति बनने के सपने. तू राष्ट्रपति तो बनने से रहा. हाँ लेकिन तुझे उसके घर झाड़ू-पोछा का काम जरूर मिल जाएगा.”
अतुल यह सुन हताश हो गया. दीपा इसी तरह सभी से प्रश्न करती रही और सबका मज़ाक उड़ाती रही. आखिर में सुरभि की बारी आई.
दीपा ने इतराते हुए उससे भी पूछा, “अब तू भी बता दे कि तू क्या बनने के ख्वाब देख रही है?”
सुरभि ने जबाव दिया, “मैं उच्च शिक्षा प्राप्त करूँगी.”
दीपा ने पूछा, ”इस ख्वाब को तो हम सब ही देख रहे हैं, लेकिन फिर उसके बाद क्या करेगी?”
सुरभि बोली, “उसके बाद मैं अपने माँ-बाप द्वारा खोजे गए लड़के से विवाह करूँगी.”
दीपा ने बेचैन होकर फिर पूछा, “अरे विवाह तो हम सबको ही करना है. इस लल्लू छाप मोनू के भी दिमाग में यही बात है, कि पढ़ने-लिखने के बाद ये भी सो काल्ड विवाह करेगा. बट आफ्टर विवाह व्हाट विल यू डू देवी जी?”
सुरभि धीमे से मुस्कुराई और बोली, “फिर मैं एक आदर्श गृहणी बनकर अपना जीवन बिताऊंगी. आइडल हाउस वाइफ इन योअर लेंग्वेज.”
दीपा खीसें निपोरती हुई बोली, “यू मीन टू से सर्वेंट”.
सुरभि ने दीपा से पूछा, “वैसे तुम्हारी मम्मी क्या नौकरी करती हैं?”
दीपा ने जबाव दिया, "सी इज अ हॉउस वाइफ".
सुरभि ने मुस्कुराते हुए कहा, "इट मीन्स सी इज आलसो अ सर्वेंट".
दीपा की अचानक बोलती बंद हो गई.
इस प्रकार लिखते रहने से क्या फायदा? इस समस्या का समाधान देते हुए एक कहनी लिखिये न?
जवाब देंहटाएंउसी लेख् को साहित्य की कोटि में गिना जाता है जिसे पढने से जीवन में कुछ सुधार आए|
जवाब देंहटाएंआप के सुझावों के लिए आभार.
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