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मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

भूल (लघु कथा)


मेरे पड़ोस के घसीटालाल जी के बेटे की जब शादी हुई तो पूरे मोहल्ले में शोर मच गया. शोर मचता भी क्यों नहीं उनके बेटे की शादी में दहेज़ जो  इतना अधिक मिला था. घसीटालाल जी ख़ुशी के मारे  फूले नहीं समा रहे थे. हर किसी से वह यही कहते कि मेरी बहु तो लक्ष्मी का रूप है और वह अपने साथ ढेर सारी लक्ष्मी लेकर आई है .समय बीता उनकी बेटी भी जवान हुई और उन्होंने अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर खोजना आरंभ कर दिया. एक दिन उनसे अचानक मुलाकात हो गई वह काफी  दुःखी दीख रहे थे. मैने उनसे उनके दुःख का कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया, "बेटी मै अपनी बेटी के लिए काफी समय से लड़का खोज रहा हूँ लेकिन जहां भी जाता हूँ लड़केवाले दहेज़ के लिए मुंह फाड़ने लगते हैं." मैंने उनसे कहा, "अंकल जी जहां तक मैंने सुना है कि आपने तो अपने बेटे की शादी में जमकर दहेज़ लिया था फिर दहेज़ देने में भला आपत्ति क्यों?" वह गंभीर होकर बोले, "बेटी वह मेरी भूल थी अब मैं उस भूल को सुधारना चाहता हूँ." उनकी इस बात को सुनकर ऐसा मन किया कि उनके चरण छू कर बोलूँ, "अंकल जी धन्य हैं आप और धन्य हैं आपके विचार."

17 टिप्‍पणियां:

  1. भूल तो सदा अपने भले के लिए ही सुधारी जाती है, इसमें अंकल ने कुछ भी तो गलत नहीं किया।

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  2. वह भूल नहीं अपराध था और उसकी सजा तो मिलेगी ही !

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  3. जैसे को तैसा तो मिलता ही है फिर चाहे भगवान की लाठी ही बेआवाज़ क्यों ना पडे…………सार्थक लघुकथा।

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  4. प्यारी छुटकी बहना अभी तक तुम मेरी रचनाओं को झेल रहीं थी अब मुझे तुम्हारी रचनाओं को झेलना पड़ेगा...हा हा हा. तुम्हारा लेखन दिन प्रतिदिन निखार पाए...इसी शुभकामना के साथ ढेरों आशीष...

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  5. भूल सुधार पुत्र की शादी में कोई नहीं करता... क्‍यों.. ?___

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  6. स्वागत है । और इस सुंदर लघुकथा के लिए साधुवाद । बहुत बहुत शुभकामनाएं , कलमघिस्सी की बहुत जरूरत है आज यकीनन

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  7. Subah ka bhula agar shaam ko wapas aa jaye to use bhula nahi kahte... Charan sparsh Ghasitalaal Ji ko...

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  8. उत्तम लघुकथा....अपने उपर जब पड़ती है...तब यही होता है.

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  9. वह संगीता, लघुकथा सचमुच बहुत सुंदर है. विषय भले ही पुराना हो लेकिन विडम्बना यही है कि आज भी प्रासंगिक है. बधाई.

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  10. कलम घिस्सी बहन ने मुद्दा ठीक उठाया है. शुभकामनाएं.

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  11. ऐसे ही कलम को घिसती रहो कलम घिस्सी बहन.

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  12. आप सभी को कलम घिस्सी के ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद और नव वर्ष की शुभकामनाएं.

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  13. "एक बेहतर उद्देश्य के लिए यदि कलम घिस भी जाये तो क्या.
    लिखना सिर्फ अभिव्यक्ति भर नहीं है, यह हमारे प्रतिरोध का अहम् हिस्सा भी है.
    मेरी शुभकामनाये,"
    युगल गजेन्द्र

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  14. एक सार्थक पहल को लेकर आप कलम घिस रहीं हैं. हमें आप पर गर्व है. बधाई.

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